मैनपुरी की तारकशी कला
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एक समय था जब मैनपुरी के हर घर में तारकसी की झलक मिलती
थी.प्रसिद्ध इतिहासकार परसी ब्राउन ने भी इस कला का ज़िक्र किया है.आज़ादी के
बाद तारकशी से बनायीं गयी शीशम की लकड़ी से निर्मित काष्ठ हाथी की प्रतिमा
शिल्पकार रामस्वरूप ने राष्ट्रपति को भेंट की.मैनपुरी में रामस्वरूप ने इस
कला को जीवित रखने में विशेष योगदान दिया.मोहल्ला देवपुरा में बना उनका
कच्चा – पक्का मकान उनकी कला की झलक आज भी पेश करता है. शीशम की प्लेट पर
बनी तारकशी की आकृति कला कृतियाँ उपहार में देने का चलन है.रथों का प्रयोग
इतिहास से मिलता है.तेजगति से चलने वाले रथ और मंझोली के पहिया तारकशी कला
का शानदार उदाहरण है.
आधुनिकता और पेड़ों की अँधा धुंध कटाई से तारकशी कला का नुकसान हुआ है.भवन निर्माण में लोहे का अधिक् प्रयोग के चलते अब घरों में इस कला को जगह नहीं मिल पा रही है.सरकार को चाहिए की इस शानदार कला को जीवित रखने के लिए असरदार कदम उठाए.
चित्र–नीरज चतुर्वेदी, मैनपुरी