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मंगलवार, 31 मार्च 2009

|| वन्दे मातरम ||


|| वन्दे मातरम ||



नमस्ते सदा वत्सले मातृभूमे
त्वया हिन्दुभूमे सुखं वर्धितोहम् ।
महामङ्गले पुण्यभूमे त्वदर्थे
पतत्वेष कायो नमस्ते नमस्ते ।।१।।

प्रभो शक्तिमन् हिन्दुराष्ट्राङ्गभूता
इमे सादरं त्वां नमामो वयम्
त्वदीयाय कार्याय बध्दा कटीयं
शुभामाशिषं देहि तत्पूर्तये ।
अजय्यां च विश्वस्य देहीश शक्तिं
सुशीलं जगद्येन नम्रं भवेत्
श्रुतं चैव यत्कण्टकाकीर्ण मार्गं
स्वयं स्वीकृतं नः सुगं कारयेत् ।।२।।

समुत्कर्षनिःश्रेयस्यैकमुग्रं
परं साधनं नाम वीरव्रतम्
तदन्तः स्फुरत्वक्षया ध्येयनिष्ठा
हृदन्तः प्रजागर्तु तीव्रानिशम् ।
विजेत्री च नः संहता कार्यशक्तिर्
विधायास्य धर्मस्य संरक्षणम् ।
परं वैभवं नेतुमेतत् स्वराष्ट्रं
समर्था भवत्वाशिषा ते भृशम् ।।३।।

।। भारत माता की जय

वेदना


धरती की आँखें भीगी है
और अम्बर भी रोता है
दुनिया में कोई सब पाता है
और कोई सब खोता है
धरती की आँखें भीगी है
और अम्बर भी रोता है
दुनिया में कोई सब पता है
और कोई सब खोता है

झरने हो नदियाँ के सागर
सब है पानी के धारे
लेकिन इन आंखों के आँसू
जैसे पिगले अंगारे
चीख रही है सारी दिशाएं
कोई दिशा खामोश नहीं
दोष नहीं है तेरा लेकिन
फिर भी तू निर्दोष नहीं
डूब ना जाए दुनिया तेरी
आंसू की इस बारिश में
लगता है तेरे दिल और आँखें
दोनों है इस साजिश में


कल तक मुझको गौरव था
मैं देवताओं की हूँ संतान
आज मगर हूँ आधा जानवर
आज हूँ में आधा इंसान
कल तक मेरी धड़कन
धड़कन जीवन राग सुनती थी
लेकिन आज है मेरे अंग अंग में
जैसे ठंडा एक शमशान
कौन पुकारा कौन पुकारा
देखो सब कुछ बदल गया
कोई पीछे छूट गया है
कोई आगे निकल गया
आग के है यह नाग के जो है
लिपटे हुवे मेरे तन से
पैरों से और बाजू से
और सीने से और गर्दन से ||

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