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शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

फ़िल्मी दुनिया का 'बब्बर शेर' - सोहराब मोदी


सोहराब मोदी
सोहराब मोदी
पूरा नाम सोहराब मोदी
जन्म 2 नवम्बर, 1897
जन्म भूमि बम्बई
मृत्यु 28 जनवरी, 1984
कर्म भूमि मुम्बई
कर्म-क्षेत्र अभिनेता, निर्माता व निर्देशक
मुख्य फ़िल्में रज़िया सुल्तान, घर की लाज, कुंदन आदि
पुरस्कार-उपाधि दादा साहब फाल्के पुरस्कार
सोहराब मोदी ( जन्म: 2 नवम्बर 1897 - मृत्यु: 28 जनवरी 1984) अभिनेता, फ़िल्म निर्माता व निर्देशक थे, जिन्होंने हिन्दी की प्रथम रंगीन फ़िल्म 'झाँसी की रानी' बनाई थी। इनको सन 1980 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

जीवन परिचय

सोहराब मोदी का जन्म 2 नवम्बर 1897 में बम्बई में हुआ था। सोहराब मोदी अपनी स्कूली शिक्षा खत्म करने के बाद वह अपने भाई केकी मोदी के साथ यात्रा प्रदर्शक का कार्य किया। सोहराब मोदी ने कुछ मूक फ़िल्मों के अनुभव के साथ एक पारसी रंगमंच से बतौर अभिनेता के रूप में शुरुआत की थी। सोहराब मोदी ने सन 1935 में स्टेज फ़िल्म कंपनी की स्थापना की थी।

प्रमुख फ़िल्में

सोहराब मोदी की कुछ प्रमुख फ़िल्में हैं जिनमें उन्होंने बतौर अभिनेता काम किया है।
प्रमुख फ़िल्में
सन फ़िल्म नाम
1983 रज़िया सुल्तान
1979 घर की लाज
1971 ज्वाला
1971 एक नारी एक ब्रह्मचारी
1960 काला बाज़ार
1958 यहूदी
1956 राज हठ
1955 कुंदन
1950 शीश महल

पुरस्कार

सोहराब मोदी को सन 1980 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

निधन

फ़िल्मी दुनिया में 'बब्बर शेर' के नाम से प्रसिद्ध सोहराब मोदी का 28 जनवरी 1984 में निधन हो गया।

सोहराब मोदी जी को उनकी जयंती पर शत शत नमन !

5 टिप्‍पणियां:

  1. करवा का व्रत और एक विनती - ब्लॉग बुलेटिन पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप को करवा चौथ की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !आज की ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

    जवाब देंहटाएं
  2. सोहराब मोदी जी की जयंती पर शत शत नमन !
    सभी ब्लॉगर परिवार को करवाचौथ की बहुत बहुत शुभकामनाएं,,,,,

    RECENT POST : समय की पुकार है,

    जवाब देंहटाएं
  3. पारसी थियेटर की जान और मंचीय अभिनय की पराकाष्ठा... सोहराब मोदी साहब जैसे महान कलाकार को याद करना बहुत अच्छा लगा!!

    जवाब देंहटाएं
  4. हालाँकि मैं इनका नाम तो नहीं जानता था (क्षमा), लेकिन इनके अभिनय से सजी कुछ फ़िल्में देखी हैं मैंने | और मैं इनके प्रभावी व्यक्तित्व से ही इन्हें पहचानता था |
    निसंदेह बब्बर शेर की उपाधि इनके योग्य है | इतनी बड़ी शख्सियत के विषय में जानकार अच्छा लगा |

    सादर

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