पूरे दिन में हमारे साथ जो जो होता है उसका ही एक लेखा जोखा " बुरा भला " के नाम से आप सब के सामने लाने का प्रयास किया है |
यह जरूरी नहीं जो हमारे साथ होता है वह सब " बुरा " हो, साथ साथ यह भी एक परम सत्य है कि सब " भला " भी नहीं होता |
इस ब्लॉग में हमारी कोशिश यह होगी कि दिन भर के घटनाक्रम में से हम " बुरा " और
" भला " छांट कर यहाँ पेश करे |
शनिवार, 15 दिसंबर 2012
वो कलम अब तलवार नहीं रही ...
"वो कलम अब तलवार नहीं रही ... उस की लेखनी मे अब वो आग नहीं रही ... जो कहते है मैंने कल क्रांति की थी ... उनमे आज वो बात नहीं रही !"
वो कलम अब तलवार नहीं रही ... उस की लेखनी मे अब वो आग नहीं रही ... जो कहते है मैंने कल क्रांति की थी ... उनमे आज वो बात नहीं रही ! बहुत खूब ! शिवम् मिश्रा जी वाऽह ! क्या बात है !
वाह ... बेहतरीन
जवाब देंहटाएंअब तो क़लम कुतर दी गयी है
जवाब देंहटाएंवो कलम अब तलवार नहीं रही ...
उस की लेखनी मे अब वो आग नहीं रही ...
जो कहते है मैंने कल क्रांति की थी ...
उनमे आज वो बात नहीं रही !
बहुत खूब !
शिवम् मिश्रा जी
वाऽह ! क्या बात है !
शुभकामनाओं सहित…
कलम की धार कुंद हुई खतरे बढ़ जायेंगे . क्या पता पता जोश फिर आये क्रांतिवीर की कलम को।
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