tag:blogger.com,1999:blog-3999804800669411731.post7215534298325013227..comments2024-03-12T14:48:06.548+05:30Comments on बुरा भला: गिर सकती है सच का सामना पर गाजशिवम् मिश्राhttp://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-3999804800669411731.post-40268778402821413482009-07-22T23:13:59.538+05:302009-07-22T23:13:59.538+05:30कुछ लोग तो देख कर भी धन्य नहीं हुए |कुछ लोग तो देख कर भी धन्य नहीं हुए |शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3999804800669411731.post-28372063004638149972009-07-22T22:46:42.407+05:302009-07-22T22:46:42.407+05:30इस कार्यक्रम के बारे में तो सुन कर ही धन्य भये, दे...इस कार्यक्रम के बारे में तो सुन कर ही धन्य भये, देखने का कोई इरादा नहीं.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3999804800669411731.post-23332002051254068412009-07-22T22:09:23.145+05:302009-07-22T22:09:23.145+05:30आप सब का बहुत बहुत आभार मेरे ब्लॉग में रूचि लेने क...आप सब का बहुत बहुत आभार मेरे ब्लॉग में रूचि लेने के लिए |शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3999804800669411731.post-10312584023789213132009-07-22T21:08:13.831+05:302009-07-22T21:08:13.831+05:30आपका यह आलेख महत्वपूर्ण प्रश्न खडा करता है और यह स...आपका यह आलेख महत्वपूर्ण प्रश्न खडा करता है और यह सामयिक मसला भारतीय जीवन-जगत से सीधे जुड़ा भी है. हम अपने घर में गुगुल-हुमाद की खुशबू बिखेरते हैं; सडांध-बदबू को बाहर ही रखना पसंद करते हैं. 'सच का सामना' करने से घर में दुर्गन्ध ही भरेगी! हाँ, 'बालिका वधु' के लिए मैं ऐसा नहीं कह सकता.<br />एक विवेकपूर्ण और प्रेरक आलेख के लिए बधाई स्वीकार करें ! --आ.आनन्द वर्धन ओझाhttps://www.blogger.com/profile/03260601576303367885noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3999804800669411731.post-1769266135609995802009-07-22T18:25:31.438+05:302009-07-22T18:25:31.438+05:30भाई,
वो (रुपया) भगवान तो नही, पर भगवान से कम भी न...भाई, <br />वो (रुपया) भगवान तो नही, पर भगवान से कम भी नही।<br />यह शब्द आम आदमी के नही भारत के किसी सासद के थे जो टेप काण्ड मे पकडे गऍ थे।<br />व्यक्ति लोकतन्त्र मे आजादी का बैजा फायद उठाने लगा है। समय रहते लगाम नही कसी गई तो यह सभी खुल्लमखुल्ला सडको पर नजर आऍगा। डर-शर्म-हया-सस्कार सभी डायनासोर की तरह लुप्त हो जाऍगे।MUMBAI TIGER मुम्बई टाईगरhttps://www.blogger.com/profile/12686479234497210080noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-3999804800669411731.post-51538322884219711382009-07-22T17:18:59.010+05:302009-07-22T17:18:59.010+05:30यह कार्यक्रम अभी तक मैं ने नहीं देखा लेकिन ब्लोग्स...यह कार्यक्रम अभी तक मैं ने नहीं देखा लेकिन ब्लोग्स में इस के बारे में पढ़ रही हूँ..<br />मेरे ख्याल में ऐसे सभी कार्यक्रम और विज्ञापन Even inke promo भी जो पूरा परिवार एक साथ बैठ कर न देख सके वे सभी बंद होने चाहिये.<br />निजी चेन्नलों के लिए भी एक आचार संहिता बनाई जानी चाहिये.और पालन न करने पर कड़े कानून का प्रावधान भी होना चाहिये.<br />mere vichar mein मीडिया का कुछ सेकंड का प्रचार या कोई भी एक कार्यक्रम भी काफी होता है संस्कृति पर कुठाराघात करने के लिए ,किसी के दिमागी /सोच में negative or positive परिवर्तन के लिए.Alpana Vermahttps://www.blogger.com/profile/08360043006024019346noreply@blogger.com