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सोमवार, 8 फ़रवरी 2016

एक बौछार था वो शख्स - स्व॰ जगजीत सिंह साहब की ७५ वीं जयंती


आज ८ फरवरी है ... आज ग़ज़ल सम्राट स्व॰ जगजीत सिंह साहब की ७५ वीं जयंती है ... जगजीत सिंह जी किसी परिचय के मोहताज नहीं ... गुलजार साहब उनके बारे मे कुछ यूं बयां करते है ...
 
एक बौछार था वो -

एक बौछार था वो शख्स
बिना बरसे
किसी अब्र की सहमी सी नमी से
जो भिगो देता था

एक बौछार ही था वो
जो कभी धूप की अफ़शां भर के दूर तक
सुनते हुए चेहरों पे छिड़क देता था...
नीम तारीक से हॉल में आँखें चमक उठती थीं

सिर हिलाता था कभी झूम के टहनी की तरह
लगता था झोंका हवा का है
कोई छेड़ गया है..

गुनगुनाता था तो खुलते हुए बादल की तरह
मुस्कुराहट में कई तर्बों की झनकार छुपी थी

गली क़ासिम से चली एक ग़ज़ल की झनाकर था वो
एक अवाज़ की बौछार था वो 


ग़ज़ल सम्राट स्व ॰ जगजीत सिंह साहब को शत शत नमन !

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपने लिखा...
    कुछ लोगों ने ही पढ़ा...
    हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
    इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 09/02/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
    अंक207 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।

    जवाब देंहटाएं

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