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गुरुवार, 3 मार्च 2011

एक रिपोस्ट :- आओ महाराज .......... आप भी लटको !!

आज कल ब्लॉग्गिंग जगत में एक प्रचालन हो गया है कि "आप मुझे गाली दो मैं आपको गाली देता हूँ" !! एसा करने वाले इसको "गाली गाली" खेलना कहते है | बात एक दुसरे तक रहे तब तक तो ठीक है, कि भाई दो लोग है आपस में 'गाली गाली' खेल रहे है .........अपना क्या खेलने दो !! पर नहीं साहब एसे कैसे जब तक बात का बतंगड़ ना बने क्या मज्जा आया ??
तो क्या होता है कि बात आपस की ना हो कर आगे जा कर सामाजिक बनती है .............अब भी मज्जा नहीं आया तो क्या हुआ इसको एक धार्मिक रूप दे देते है ..........अब तो मज्जा आ के रहेगा ..................धर्मं एक एसा मुद्दा है जिस में सबको मज्जा आता है !!

कहते है ना , "SEX SALES" वैसे ही भारत में गुरु........... "धरम SALES" !! यह वह हेमाजी वाले धरम नहीं है यह हमारे वाला धर्मं है !! जिस के आगे हम सब भूल जाते है !! तो मामला जैसे ही धार्मिक होता है हम सब कुछ छोड़ छाड़ लग जाते बिना डीग्री की वकालत करने अपने अपने धर्म की ...................मेरा बढ़िया.......... तेरा घटिया ..............उसका तो और भी घटिया !! अब क्यों कि होता यह सब ब्लॉग जगत में है तो जो लोग ब्लॉग्गिंग करते है वही जान पाते है कि कहाँ - कहाँ, कितने, किस - किस धर्म के मोर्चा खोले बैठे है | बाकी दुनिया में तो, 'यहाँ पर सब शांति शांति है ' वाला गाना बज रहा होता पर ब्लॉग जगत में घोर अशांति फैल चुकी होती है और हर कोई दुसरे की बजने पर अमादा रहता है !!

अब एसे माहौल में जब शाम को चिट्ठाजगत वालों की मेल आती है कि आज १५ या २५ नए ब्लोगों का टिपण्णी से स्वागत करें तो बताइए तो सही कि उन नए लोगो से क्या कहे ??

हमारे छोटे से दिमाग में तो यही आता है कि भैया, चिमगादर के घर आये हो........ तो आओ तुम भी लटक लो जैसे हम लटके है !!

17 टिप्‍पणियां:

  1. लटक लिए भैया,
    जेहि बिधि राखे राम, तेही बि्धि रहिए।

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  2. चमगादड़ के घर आये हो........ तो आओ तुम भी लटक लो जैसे हम लटके है...

    सही है!...मिल-बाँट के जैसे-तैसे गुज़ारा कर लेंगे...टू मुझ पर टिपियाईयो ...मैं तेरी पे टिपियाऊँगा

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  3. ब्लोगिंग में धर्म की बात करना अधर्म है ।

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  4. यानी सिर्फ़ ललित जी तैयार हैं
    वास्तव में चमगादड़ सीधी लटकती उनके अपने अनुमान संरचना के अनुसार वे सही हैं.

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  5. हमारी नज़र का उल्टा उनकी नज़र में सीधा है.

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  6. यानी हमको नज़रिया बदलना ही होगा

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  7. अब तो उलटा लटके साल हो गया यह सीधा है ही कौन |

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  8. बढिया सलाह चमगादड वाली लटके रहो
    ज्यादा उन्नति करलो तो बैताल बन जाओ.

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  9. भैया, चिमगादर के घर आये हो........ तो आओ तुम भी लटक लो जैसे हम लटके है !!

    मुहावरा अच्छा है

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  10. समूची मनुष्य जाति आज कोरोना के संदर्भ मर ही सही परंतु सच तो यही है कि हमसब चिमगादर के ही आज मेहमान हैं।-जयहिन्द!

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