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गुरुवार, 17 फ़रवरी 2011

सौ साल का हो जायेगा एयरमेल - 18 फरवरी 1911 - 18 फरवरी 2011

वर्तमान में ई-मेल का जमाना है क्लिक करते ही संदेश एक स्थान से दूसरे तक पहुंच जाता है किंतु पिछले दशक तक लाल नीले स्ट्रिप बार्डर वाले पत्र की खास अहमियत थी और एयरमेल सेवा ही सबसे तेज थी। हार्ड कापी को जल्द से जल्द भेजने का माध्यम आज भी एयरमेल सेवा ही बनी हुई है जिसे शुरू हुए अब सौ साल हो रहे हैं।
फ्रेंच पायलट हैनरी पिक्वइट ने पहला एयरमेल लेटरों के पैकेट को इलहाबाद से एयर लिफ्ट करके नैनी पहुंचाया था। इस पहली एयरमेल फ्लाइट के आयोजकों को भलीभांति आभास हो गया था कि वह एक इतिहास बनाने जा रहे हैं, इसी लिये इस लोक उपयोगी सेवा की शुरूआत को एक अन्य चेरिटी के काम से जोड़ते हुए शुरू किया। 18 फरवरी 1911 को हुई इस पहली फ्लाइट से भेजे गये पत्रो से हुई आय को बैंगलूर के ट्रिनिटी चर्च के एक हॉस्टल निर्माण के लिये दान कर दिया गया।
राइट्स बंधुओं के द्वारा पहली पावर फ्लाइट की कामयाबी के बाद महज सात साल बाद हुई इस ऐतिहासिक उडान में 6500 पत्र ले जाये गये थे जिनमें पं. मोतीलाल नेहरू द्वारा अपने पुत्र जवाहर लाल नेहरू को लिखे चर्चित खत के अलावा किंग जार्ज पंचम और नीदरलैंड की महारानी के नाम लिखे गये खत भी शामिल थे। 

हैनरी पर भी जारी होगा डाक टिकट 

विश्व की पहली एयरमेल सेवा के लिए इस्तेमाल होने वाले वायुयान को चलाने वाले फ्रेंच पाइलट हैनरी पिक्वट पर भी उनकी यादगार शुरूआत में साहसिक योगदान के लिए फ्रांस में एक स्पेशल पोस्टल स्टाप जारी किया जा रहा है।

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही अच्छी जानकारी दी आपने ..आभार.

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  2. रोचक जानकारी दी है जी आपने, धन्यवाद

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  3. इस दिलचस्प जानकारी के लिए आभार ।

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  4. aap ekdam ek encyclopedia ho...kahan se laate hain ye sab information...
    hats off to you :)

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  5. आपके द्वारा दी जाने वाली जानकारी ऐसी ही है जैसी हिंदुस्तान टाइम्स की एक पत्रिका द मॉर्निंग इको के एक कॉलम में होती थी.. उसका नाम था.
    Something you never wanted to know, but were always asked!!

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  6. बहुत सुन्दर जानकारी ! सच में दुनिया कितनी बदल गई है !

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  7. हमने इसका काफी इस्तेमाल किया था। मगर इंटरनेट के इस ज़माने में यह औपचारिकता मात्र बनकर रह गया है।

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