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सोमवार, 27 सितंबर 2010

एक रि पोस्ट :- शहीद् ए आजम सरदार भगत सिंह जी के जन्मदिन पर







कुछ बहरों को सुनाने के लिए एक धमाका आपने तब किया था ,
एसे ही कुछ बहरे आज भी राज कर रहे है,
हो सके तो आ जाओ !!





सरफरोशी की तमन्ना
 
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, 
देखना है ज़ोर कितना बाजू-ऐ-कातिल में है.

करता नहीं क्यूँ दूसरा कुछ बात-चीत, 
देखता हूँ मैं जिसे वोह चुप तेरी महफिल में है.
ए शहीद-ऐ-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तेरे ऊपर निसार, 
अब तेरी हिम्मत का चर्चा गैर की महफिल में है.
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.

वक्त आने पे बता देंगे तुझे ए आसमान, 
हम अभी से क्या बताएं क्या हमारे दिल में है.
खींच कर लाई है सब को क़त्ल होने की उम्मीद, 
आशिकों का आज जमघट कूचा-ऐ-कातिल में है.
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.

है लिए हथियार दुश्मन ताक़ में बैठा उधर, 
और हम तैयार हैं सीना लिए अपना इधर.
खून से खेलेंगे होली गर वतन मुश्किल में है, 
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.

हाथ जिन में हो जूनून कट ते नही तलवार से, 
सर जो उठ जाते हैं वोह झुकते नही ललकार से.
और भड़केगा जो शोला-सा हमारे दिल में है, 
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.

हम तो घर से निकले ही थे बांधकर सर पे कफ़न, 
जा हथेली पर लिए लो बढ़ चले हैं ये क़दम.
जिंदगी तो अपनी मेहमान मौत की महफिल में है, 
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है.

यूं खडा मकतल में कातिल कह रहा है बार बार, 
क्या तमन्ना-ऐ-शहादत भी किसी के दिल में है.
दिल में तूफानों की टोली और नसों में इन्किलाब, 
होश दुश्मन के उड़ा देंगे हमें रोको न आज.
दूर रह पाये जो हमसे दम कहाँ मंजिल में है,

सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है. 
देखना है ज़ोर कितना बाज़ुय कातिल में है ||



इंक़लाब जिंदाबाद  







 शहीद् ए आजम सरदार भगत सिंह जी को उनके १०४ वे जन्मदिवस पर सभी मैनपुरीवासीयों की ओर से शत शत नमन |

11 टिप्‍पणियां:

  1. शिवम् मिश्रा जी

    बहुत बहुत धन्यवाद मै कब से इसी तरह के पोस्ट को ढूंढ़ रही थी मुझे लगा की २ अक्तूबर के अलावा लोगों को कोई और तारीख याद ही नहीं रहती है शुक्र है की सरकार की लाख कोशिशो के बाद भी कुछ लोग आज की तारीख भूलते नहीं है | इस पोस्ट के लिए एक बार फिर धन्यवाद | मेरी तरफ से शहीद भगत सिंह जी को नमन आशा है की हम सभी कम से कम अपनी अगली पीढ़ी तक तो उनकी याद को बना कर रखेंगे चाहे सरकारे उनको कितना भी भुलवाने की कोशिश करे |

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  2. स्वतंत्रता संग्राम के शहीदों पर लिखी हूई 5 पृष्ठ की मेरी एक कविता है। जिसे प्रकाशित करना भूल गया।
    स्वतंत्रता संग्राम में नौजवानों ने अपने प्राणो का उतसर्ग किया, उनके लिए भगत सिंह एक प्रेरणा बने।
    इनके बलिदान ने फ़िरंगी सरकार के ताबूत में अंतिम कील ठोंकी और उन्हे भारत छोड़ कर जाना पड़ा।
    हम इनकी शहादत को सलाम करते हैं और शहीद भगत सिंह के जन्म दिवस पर उन्हे श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं।

    आभार

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  3. शहीद भगत सिंह को उन के जन्म दिन पर मै श्रद्धापूर्वक नमन करता हुं, लेकिन हम भारतिया ओर हमारी सरकार बिलकुल बेकार है, कभी किसी ने इन के परिवार के बारे जाना कि इन के बाद इन के मां बाप केसे रहे होंगे? जिस वीर ने हमे आजादी दिलाई उस के मां बाप ने अपने दिन केसे काटॆ? मै तो बहुत छॊटा था लेकिन सुना है कि बहुत बुरा समय बीता इन पर, फ़ाक्के मै काटा उन्होने अपना बुढापा, ्कहां हे वो नेता जो पकी पकाई खाने आगे आते है

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  4. शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
    वतन पे मरने वालों का यही बाक़ी निशाँ होगा.
    शहीदे आज़म को सलाम!!

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  5. भगत सिंह को आज हमने भी याद किया है ब्लॉग " पास पड़ोस " पर ।

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  6. २७ सितम्बर १९६२ को मेरे बड़े भाई साहब का जन्म हुआ था और २७ सितम्बर १९९५ को मैंने सरकारी नौकरी शुरू कि थी इसलिए भी ये दिन मेरे लिए महत्वपूर्ण रहा है.

    सुन्दर लेख के लिए बधाई.

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  7. देश के इस अमर शहीद को हार्दिक नमन।

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  8. शहीदेआजम भगतसिंह को शत्-शत् प्रणाम करता हूँ!

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