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गुरुवार, 10 जून 2010

मेरी वह मुराद ............बिन मांगे जो पूरी हुयी !!

कभी कभी जीवन में कुछ ऐसी घटनाएँ घट जाती है जो आपके सोचने का नजरिया बदल, आपको एक लक्ष्य दे देती है ................मेरी परसों की पोस्ट पर की गयी एक टिपण्णी ने मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही किया है |

यह थी वह टिपण्णी :-
सतीश सक्सेना said... कलाजगत के इस गंभीर क्षति और बेहद दुखदायी घटना पर क्या प्रतिक्रिया दें ...हो सके तो इन के आश्रितों का हाल क्या है मालूम करें और अगर कोई मुसीबत में है तो मैं व्यक्तिगत और सामूहिक तौर पर साथ हूँगा ! चूंकि आपको इस मौके पर उनकी याद आयी है अतः यह पुण्य कार्य भी आप ही करें ! अन्यथा नयी पोस्ट के साथ हम सब कल इन्हें भूल जायेंगे ! मैं अपना पता दे रहा हूँ !
सादर


Satish Saxena


satish1954@gmail.com

+919811076451

मैंने सतीश भाई को फ़ोन किया ताकि इस विषय पर उन से बात कर सकू ...............लगभग ११ मिनट तक चली बातचीत में मुझे यह समझ गया कि यह टिपण्णी केवल भावनाओ में बह कर नहीं की गई है बल्कि सतीश भाई सच में ऐसा ही सोचते है | मैं बता नहीं सकता दिल को कितना सुकून पंहुचा उन से बात करने के बाद ! आज हमारे देश और समाज को ऐसी ही सोच वाले लोगो की बहुत जरूरत है |

यह सच है हम सब रोज़ कितनी ही पोस्टे पढ़ते है और फिर भूल जाते है .................मेरी यह पोस्ट भी दिनों में आपके जहान से निकल जाएगी पर ..................एक विनती है आपसे ..............कृपया उन चार दिनों तक मेरी पोस्ट में लिखी बातों पर गौर करें और हो सके तो आप भी ऐसा कुछ अपने आस पास करें !

ज्ञात हो कि ठीक एक साल पहले जून २००९ ही के दिन एक सड़क दुर्घटना में मंच के लोकप्रिय कवि ओम प्रकाश आदित्य, नीरज पुरी और लाड सिंह गुज्जर का निधन हो गया था और ओम व्यास तथा ज्ञानी बैरागी गंभीर रूप से घायल हुए थे |

आज जब इस घटना को एक साल बीत चूका है ...................हम में से कितनो को यह दुखद घटना याद भी है .....................................शायद बहुतों को नहीं ! यही होता है ................क्यों कि हम लोग सब अपनी अपनी ज़िन्दगी में इस कदर मशरूफ है कि हम को अपने सिवाए कुछ और सूझता ही नहीं है | कौन जिया कौन मरा .......किस को क्या खबर ??
पर क्या आपने सोचा यही सब एक दिन हमारे साथ भी हो सकता है !!
तब भी किसी को कोई फर्क नहीं पड़ेगा हमारे जाने से ......................अगर किसी को फर्क पड़ेगा तो सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे परिवार को !

उन कवियों के जाने का भी फर्क पड़ा है उनके परिवार पर ...................क्यों ना कुछ देर रुक कर, अपनी रोज़ कि इस भागम भाग वाली ज़िन्दगी से, हम जाने उनका हाल ! इसी सोच से प्रभावित हो कर मैंने आज कुछ लोगो को फ़ोन कर यह मालूमात करने की कोशिश करी कि क्या किसी को उस हादसे में मरे गए कवियों के परिवार के विषय में कुछ जानकारी है ...................और क्या कोई और भी मेरे इस प्रयास में मेरा साथ देगा ?

सब से पहले मेरी बात हुयी महफूज़ अली भाई से जिन्होंने अपना पूरा सहयोग देने का वादा किया उसके बाद मैंने मुंबई फ़ोन लगाया देव कुमार झा को ................पूरी बात से उनको अवगत करवाने के बाद जब मैंने उनसे सहयोग की बात कही तो यह जान बहुत ख़ुशी हुयी कि देव बाबु भी इस मुहीम में पूरा साथ देने को तैयार है |

मेरी इस मुहीम में एक सुखद मोड तब आया जब उसके बाद मैंने फ़ोन किया अपने अलबेले बड़े भाई अलबेला खत्री जी को | अलबेला जी ने पहले तो मेरी पूरी बात सुनी फिर मुझे काफी सराहा ..............उसके बाद जो खबर उन्होंने मुझे दी ...........वह यह थी कि उस दुखद हादसे में मारे गए किसी भी कवि के परिवार में कोई भी वितीय संकट नहीं है और सब लोग धीरे धीरे इस सदमे से उबार रहे है |

यह खबर केवल खबर नहीं बल्कि एक तरह से मेरी वह मुराद थी जो बिना मांगे ही पूरी हो गयी | मैं अपनी भावनाएं यहाँ शब्दों में नहीं लिख सकता पर यह एक ऐसी अनुभूति है जैसा अपने परिवार का हित जानने के बाद होती है |

आप सब को यह जान ख़ुशी होगी कि हम लोगो जिस मुहीम के यह एक जुट हो रहे थे वह पहले ही रंग ला चुकी है | अपने परिवार में सब ठीक है सिवाए इसके कि वह चार लोग जो हम सब को बहुत प्रिये थे आज हमारे बीच नहीं है |

आज एक और बात बहुत अच्छे से समझ में आ गयी कि अपने तमाम विवादों और कुछ बुराइयों के बाद भी ब्लॉगजगत आज भी किसी भी सार्थक पहल के लिए एक जुट है | भगवान् से यही दुआ करता हूँ कि यह एकता बनी रहे और हाल फिलहाल में जो भी विवाद हुए है उनका असर ब्लॉग जगत पर कम से कम हो !

18 टिप्‍पणियां:

  1. oh main to reh hi gaya main to safar me tha sirji...main bhi aapke sath hun...mera cell no 9611760667.....

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  2. मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर
    लोग साथ आते गये और कारवाँ बनता गया...

    साधुवाद और शुभकामनाएं.

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  3. वेहतरीन पहल. सम्वेदना का समय पर प्रदर्शन.

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  4. हम इसी ऊर्जा के साथ यदि परिवार पर आयी विपत्ति में भी परिवारजनों का साथ दें तो शायद यह नौबत कभी आए ही नहीं। बस जिसे जहाँ अवसर मिले धन से या मन से या अपने मीठे बोलों से सहयोग कर दे तो दुनिया सुंदर हो जाएगी।

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  5. बहुत बढ़िया पोस्ट! शुभकामनाओं के साथ!

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  6. साथी हाथ बढ़ाना...साथी रे ...
    देव कुमार झा जी ने सही कहा...
    "मैं अकेला ही चला था जानिबे मंज़िल मगर
    लोग साथ आते गये और कारवाँ बनता गया"

    "अपने तमाम विवादों और कुछ बुराइयों के बाद भी ब्लॉगजगत आज भी किसी भी सार्थक पहल के लिए एक जुट है"...
    ऐसा होना भी चाहिए कि मतभेद बेशक एक नहीं अनेक हों लेकिन मन भेद बिलकुल ना हो

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  7. अपने मीठे बोलों से सहयोग कर दे तो दुनिया सुंदर हो जाएगी।

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  8. भगवान् से यही दुआ करता हूँ कि यह एकता बनी रहे और हाल फिलहाल में जो भी विवाद हुए है उनका असर ब्लॉग जगत पर कम से कम हो !


    -इस दुआ में हम शामिल हैं.

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  9. shivam bhai aap apne maqsad main safl hon..duya hai.mere hisse ka jo ho hukm kar dena..haq se..

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  10. ऐसे हादसे कही अतीत मे ले जाते है मुझे ....बहुत लम्बी प्रक्रिया है ये......."उबरना".......सभी का सहयोग होना जरूरी है ...आपका प्रयास सफ़ल हो इसी शुभकामना के साथ ..सभी सहयोगियों को धन्यवाद......पीडित परिवारो की सहनशक्ति बनी रहे यही प्रार्थना......

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  11. पहल के लिए आपको शुभकामनायें शिवम् भाई ! अगर कुछ करने का जज्बा है तो आप कहीं भी क्यों न रहे, नेतृत्व आप ही देंगे ! जिस योग्य भी हूँ निस्संदेह आपके साथ हूँ !

    घर से मंदिर है बड़ी दूर चलो यूँ करलें
    किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए !

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  12. भगवान् से यही दुआ करता हूँ कि यह एकता बनी रहे और हाल फिलहाल में जो भी विवाद हुए है उनका असर ब्लॉग जगत पर कम से कम हो!

    दुआ ही की जा सकती है

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  13. ब्लॉगजगत एक परिवार की तरह ही है, हम सब एक हैं हर मुश्किल में, हर दुःख में, हर सुख में साथ हैं! my no. 9957565244

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  14. सिवम जी! आपने जब हमको फोन किया तब हम पटना में थे अऊर गंभीर समस्या से जूझ रहे थे..लेकिन पहिला फुर्सत में ई पोस्ट पढे..का माळूम कईसे छूट गया था हमसे... आपका जज़्बा में ईमानदारीए नहीं एक सच्चाई भी देखाई देता है, अऊर हमरे गुरूजी त आदमी का जानवर तक को भी परमात्मा का अंस मानते हैं, और मानवता का सेवा में एक मूक परानी का सेवा भी सामिल है, ई भी बताते हैं... आपका सोचना ही सफलता का सीढी है... धन्यवाद फिर से, अऊर छमा मिस कर जाने के लिए!!

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  15. bhai ji ham bhi sath me hai..der ayad durust ayad..

    9935277611

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आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

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