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बुधवार, 12 मई 2010

संगीत से सधे मन !!


संगीत में सात सुर हैं। इन सुरों से निकलते हैं तमाम राग और रागनियां। इन राग-रागनियों का हमारे फिजिकल और मेंटल सिस्टम से गहरा ताल्लुक है, तभी तो दर्द वाले सुर हमें दर्द में डुबो देते हैं और खुशी के गीत हमें आनंद के सागर में डुबकी लगवा देते हैं।

अगर आप अकेले हैं, दुख-दर्द सुनने और खुशियां बांटने के लिए आपके पास कोई नहीं है, तो आप संगीत को अपना साथी बना लीजिए। फिर आपको कोई कमी महसूस नहीं होगी। सुमधुर गीत आपको इस योग्य बना देंगे कि आप स्वयं से बातें करने लगेंगे। संगीत आपके लिए कम्युनिकेशन चैनल का काम करता है। देखा जाए, तो भारत में राग चिकित्सा का प्रयोग वैदिक काल से होता आया है। न सिर्फ भारत, बल्कि विदेशी पौराणिक कथाओं में भी संगीत को आत्मा के लिए मलहम समान बताया गया है। बाइबिल की कहानियों के अनुसार, डेविड राजा सॉल के अत्याचार से मन में उपजी निराशा को दूर करने के लिए अक्सर बीन बजाया करता था।

यूनान में भी संगीतज्ञ ऑर्फियस की एक कहानी प्रचलित है। वह अपने संगीत के प्रभाव से न केवल जंगली जानवरों को शांत किया करता था, बल्कि चंट्टानों को भी अपने स्थान से खिसका देता।

[संगीत चिकित्सा]

आज भारत में योग विज्ञान की मदद से संगीत चिकित्सा पर कई रिसर्च व‌र्क्स किए जा रहे हैं। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। हमारे मस्तिष्क से जुड़ी कई तकलीफें, जैसे-डिप्रेशन, डिमेंशिया, अनिद्रा, नकारात्मक भावनाएं, सिर-दर्द, तनाव, अशांति आदि में संगीत काफी फायदा पहुंचाता है।

[कमाल है मोजार्ट]

जर्मन म्यूजिक कम्पोजर डब्लू.ए. मोजार्ट ने एक क्लासिकल म्यूजिक कम्पोज किया और नाम दिया मोजार्ट। यह हाई फ्रीक्वेंसी म्यूजिक है, जो व्यग्र लोगों के मन के वेग को शांत करता है। यह आपके निगेटिव विचारों में बदलाव लाकर उन्हें सकारात्मक बनाता है। फ्रेंच फिजीशियन डॉ. अल्फ्रेड टोमेटिस ने पिछले 50 वर्षो के दौरान ऐसे एक लाख लोगों पर अध्ययन किया, जिन्हें बोलने (स्पीच) में परेशानी होती थी। ऐसे लोगों को लगातार छह-सात महीने प्रतिदिन एक घंटे मोजार्ट म्यूजिक सुनाया जाता था। एक निश्चित समय बाद इन लोगों की स्पीच संबंधी समस्या जाती रही।

[अंतस से संवाद]

संवाद, साहचर्य स्थापित करने और उदासी भगाने के लिए संगीत बहुत जरूरी है। यदि आप 'निरवल जुगलबंदी' सुनते हैं, तो यह आपके लिए एक प्रकार के कम्युनिकेशन चैनल का काम करती है। दरअसल, जब आप संगीत में ध्यान मग्न हो जाते हैं, तो समझ लीजिए आप अपने अंतस से जुड़ गए। तब आप स्वयं से बातचीत करने लगते हैं। प्रतिदिन पांच मिनट का संगीत आपको आत्मसंतुष्टि प्रदान कर सकता है। संगीत सुनकर सोने से रात में अच्छी नींद आती है।

[राग-उपचार]

ऐसे कई राग हैं, जो मानव मस्तिष्क और शरीर पर अद्भुत प्रभाव डालते हैं। तनाव दूर करने में दरबारी कान्हड़ा, खमाज, पूरिया रागों का प्रयोग वैदिक काल से होता आया है। राग अहीर भैरव और तोड़ी उच्च रक्तचाप के मरीजों के लिए बहुत प्रभावशाली हैं। वहीं माल्कौंस राग के बारे में मान्यता है कि इसमें अलौकिक शक्ति छिपी होती है। यह निम्न रक्तचाप को संतुलित करने में मदद करता है। कब्ज में गुनकली और जौनपुरी, अस्थमा में दरबारी कान्हड़ा और मियां की मल्हार, साइनस प्रॉब्लम में भैरवी, सिर-दर्द, क्रोध में तोड़ी और पूर्वी राग तथा अनिद्रा में काफी और खमाज काफी कारगर होते हैं। मोहनम राग हमारे अंदर आत्मविश्वास का संचार करता है।

[चिकित्सकों की राय]

* मनोचिकित्सक आरती आनंद बताती हैं कि संगीत हमारे मनोभावों को व्यक्त करता है। यदि हम प्रसन्नता महसूस करते हैं, तो थोड़ा लाउड म्यूजिक सुनना पसंद करते हैं। वहीं, दु:ख की घड़ी में धीमा संगीत हमारे उदास मन को दर्शाता है। संगीत सुनने से तनाव कम होता है और मन में सकारात्मक भाव उत्पन्न होते हैं।

* काडिर्योलॉजिस्ट डॉ। के.के. अग्रवाल के अनुसार, संगीत का हमारे दिल पर बहुत अच्छा प्रभाव पड़ता है। यदि आप रोज 20 मिनट मधुर संगीत सुनें, तो आपका ब्लड सर्कुलेशन सही होता है।


(म्यूजिक थेरेपिस्ट टी.वी. साईराम के व्याख्यान पर आधारित)

7 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढ़िया जानकारीपूर्ण आलेख......... आभार.

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  2. बहुत बढ़िया जानकारीपूर्ण आलेख......... आभार.

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  3. इस विषय पर मैंने भी कई वर्ष पूर्व एक आलेख लिखा था। दिक्कत यही है कि उपचार की ऐसी विधाएं मुफ्त होने के कारण लोकप्रिय नहीं हो पा रही हैं और अगर संगीत का इस्तेमाल कर उपचार करने वाली कोई विधा ईजाद की जाती है तो उसमें चिकित्सा का एलीमेंट कम और आश्चर्य का एलीमेंट ज्यादा देखा जाता है।

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  4. शिवम बाबू, अपका हर पोस्ट के जैसा इससे भी बहुत कुछ सीखने को मिलता है..संगीत त अजीब भगवानी चीज है... शर्लॉक होम्स भी जब परेसान हो जाता था त वायलिन बजाने लगता थ... हमरे शहर में एगो मसहूर डॉक्टर थे ऊ पेसेंट देखते देखते अचानक उठकर बगल वाला रूम मं जाकर सितार बजने लगते थे... लोग उनको पगला कहता था… जो भी हो बहुत बढिया जानकरीदेते रहते हैं आप.

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  5. जानकारीपूर्ण आलेख..संगीत का अद्भुत असर होता है.


    एक अपील:

    विवादकर्ता की कुछ मजबूरियाँ रही होंगी, उन्हें क्षमा करते हुए विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.

    हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.

    -समीर लाल ’समीर’

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  6. अति सुंदर रचना के लिये, बहुत अच्छी जानकारियां मिली. धन्यवाद

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