सदस्य

 

गुरुवार, 23 जुलाई 2009

बारिश के मौसम में त्वचा रोगों से रहे खबरदार

बारिश का मौसम जहां अपने साथ कई राहतें लेकर साथ आता है वहीं सेहत के लिहाज से इस ऋतु में त्वचा संबंधी शिकायतें भी ज्यादा होती हैं। इस ऋतु में होने वाली कुछ प्रमुख बीमारियां है

[फंगल इंफेक्शन]

आम जनता की भाषा में इस मर्ज को दाद कहते है। जिस प्रकार बरसात में बाहर रखी हुई ब्रेड या रोटी पर सफेद फफूंदी (फंगस) लग जाती है। ठीक उसी तरह हमारे शरीर पर भी फंगस का संक्रमण हो जाता है। गौरतलब है कि त्वचा की सबसे बाहरी पर्त मृत कोशिकाओं से बनी होती है। फंगस इसी पर विकसित होता है। यह गोलाकार चकत्ते बनाता है, जिसके बीच में त्वचा सामान्य-सी दिखती है और किनारों पर लाली व उभार होता है। कभी-कभी पानी भरे या मवाद भरे दाने भी पाए जाते है, जिनमें खुजली होती है। गोलाकार होने के कारण इसे रिंगवर्म भी कहते है। यह मर्ज शरीर के किसी भी भाग में हो सकता है, पर ज्यादातर उन जगहों पर होता है जहां नमी रहती है। कांख में, जननेन्द्रियों के पास, महिलाओं में कमर या छाती के नीचे।

[पायोडर्मा]

आम बोलचाल में इस मर्ज को फोड़े-फुंसियां कहा जाता है, जो जीवाणु के संक्रमण से पैदा होता है। फोड़े-फुंन्सिया किसी भी मौसम में हो सकते है, पर बरसात के मौसम में ज्यादा होते है। बरसात में चारों तरफ गंदगी का वातावरण रहता है जिसमें तरह-तरह के बैक्टीरिया पनपते है, जो शरीर को संक्रमित कर देते है। जो लोग डाइबिटीज, कैंसर या एड्स से ग्रस्त हैं, उनमें ये शिकायत भीषण रूप ले सकती है। चोट लगी जगह पर संक्रमण की आशंका ज्यादा होती है।

[हरपीज जास्टर]

इस रोग का सीधा संबंध बरसात से नहीं है, परन्तु यह मर्ज इसी मौसम में ज्यादा होता है। यह रोग शरीर के एक तरफ होता है- चाहे दाएं हो या बाएं। शरीर के किसी एक भाग पर 3''&4'' इंच चौड़े पट्टीनुमा हिस्से पर तीव्र दर्द होता है। एक या दो दिन बाद लाली फिर पानी भरे दाने निकलते है, जो गुच्छों में रहते है। इनमें बाद में बैक्टीरिया के संक्रमण से मवाद भी पड़ जाता है। यह मर्ज 10 से 15 दिनों में ठीक हो पाता है।

बचाव : -

[फंगल इंफेक्शन से]

शरीर को अधिक समय तक गीला न रहने दें। पंखे के नीचे बदन सुखा लें। ढीले व हल्के कपड़े पहनें। जीन्स जैसे मोटे कपड़े न पहनें। सूती कपड़े अधिक आरामदायक होते है, जो पानी को जज्ब कर लेते है। चिकित्सक के परामर्श से एंटी फंगल पावडर व क्रीम का इस्तेमाल करे।

[फोड़े-फुन्सियों से]

शरीर साफ रहना चाहिए। गंदगी, मिट्टी व कीचड़ से दूर रहे। रोज स्नान करे। चोट लगी जगह को गंदे पानी व गन्दगी से बचाएं। फोड़े फुंसियों पर एटीसेप्टिक लोशन लगाएं।

[हरपीज जास्टर से]

यह मर्ज तभी होता है, जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। इसलिए इस मर्ज से बचाव के लिए संतुलित व पोषक आहार ग्रहण करे। जो लोग मधुमेह से ग्रस्त है, उन्हे ब्लड शुगर को नियंत्रण में रखना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

ब्लॉग आर्काइव

Twitter