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मंगलवार, 21 जुलाई 2009

अनाड़ी हाथों में स्टेयरिंग

भारत के शहरों में जितनी तेजी से निजी और कामर्शियल वाहनों की संख्या बढ़ रही है उसे देखते हुए बिना वैध बैज व ड्राइविंग लाइसेंस के अनाड़ी ड्राइवरों द्वारा गाड़ी चलाना गंभीर चिंता का विषय है। यह सीधे-सीधे सार्वजनिक वाहनों में सफर करने वालों यात्रियों की जान जोखिम में डालना है। विडंबना यह है कि शहरों में ऐसे ड्राइवरों की भारी तादाद होने के बावजूद संबंधित एजेंसियां इन पर रोक लगाने के बजाय हाथ पर हाथ धरे बैठी हैं। दिल्ली जैसे शहरों में ब्लू लाइन बसों या कामर्शियल वाहनों से आए दिन होने वाली दुर्घटनाएं संभवत: अनाड़ी ड्राइवरों के हाथों में स्टेयरिंग होने से ही घटती हैं जिनमें कई घरों के चिराग बुझ जाते हैं या फिर वे शारीरिक रूप से जीवन भर के लिए अक्षम हो जाते हैं। यह मामला इसलिए और भी चिंताजनक है, क्योंकि अगले साल दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल होने हैं। अगर यही हाल रहा तो उस मौके पर भी न केवल दुर्घटनाओं की आशंका बनी रहेगी, बल्कि इससे सारी दुनिया में भारत की किरकिरी भी होगी।

निराशाजनक यह है कि यातायात पुलिस और ट्रांसपोर्ट विभाग की निष्क्रियता के कारण ऐसे अवैध ड्राइवर बिना रोक-टोक के वाहन चलाते हुए लोगों की जान जोखिम में डाल रहे हैं। कामर्शियल वाहन चलाने वाले करीब पचास फीसदी ड्राइवरों के पास बैज न होना और करीब तीस फीसदी के पास वैध लाइसेंस न होना यह साबित करता है कि ऐसे वाहन चालकों की इस बात की कोई परवाह नहीं, क्योंकि पकड़े जाने पर वे पैसे देकर छूट जाते हैं। इससे उन्हें कोई सबक नहीं मिलता। दुर्भाग्यपूर्ण यह है कि संबंधित विभागों को भी न तो लोगों के जान की कोई परवाह है और न ही इन शहरों में बढ़ रही दुर्घटनाओं की चिंता। अगर ऐसा नहीं होता तो इतनी तादाद में अवैध ड्राइवर नहीं होते। आखिर क्या कारण है कि यातायात पुलिस तथा परिवहन प्राधिकरण की प्रवर्तन शाखा की मौजूदगी के बावजूद ऐसे ड्राइवरों की बहुतायत है? क्या इन विभागों की निष्क्रियता पर किसी की नजर नहीं है?

मैनपुरी में ही अगर आप गौर करे तो आपको १८ साल से कम उमर के एसे बहुत से ड्राईवर मिल जायेगे जो यहाँ की सडको पर अपने अपने निजी वाहन लिए एक दुसरे से रेस लगते रहेते है भले ही इस खेल में उनको ख़ुद या फ़िर सड़क पर आने जाने वालो को कोई चोट लग जाए | यह जान कर आप को और भी हैरत होगी की यह सब होता पुलिस की नाक के नीचे है पर कोई कुछ नहीं करता | उधर दूसरी ओर डग्गेमारी भी जोरो से चल रही है | आए दिन आप समाचार पत्रों में इन डग्गेमारो की लापरवाही से हुयी दुर्घटनाओं के बारे में छापी खबरे देखते ही होगे |

अगर ऐसा ही रहा तो इस बात की आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता कि ऐसे बेलगाम ड्राइवरों के कारण यह शहर हादसों के शहर में तब्दील हो जाए।

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