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शनिवार, 6 जून 2009

"नीला तारा "






ठीक पच्चीस साल पहले एक आग को बुझाने के लिए दवानल फैला दिया गया और वह दवानल हजारो निर्दोषों और दोषियों को निगल गया । उसमे एक थी श्रीमती इंदिरा गाँधी भी ।

हाँ मैं बात कर रहा हूँ ओपरेशन ब्लू स्टार की । जो एक बहुत बड़ी राजनितिक भूल साबित हुआ था । सेना को पवित्र स्वर्ण मन्दिर में मय टैंको के घुसा दिया गया एक भिंडरावाले को मारने के लिए जिसे ताकत राजनीतिज्ञों ने दी अपने विरोधियों को नीचा दिखने के लिए ।

भिंडरावाले को संत कहा जाने लगा तमाम नेता ,धार्मिक गुरु ,पत्रकार उसके दरवार में हाजिरी लगाने लगे । खालिस्तान की मांग चरम पर पहुच गई । शांत पंजाब आतंक की आग में धधकने लगा । हजारो निर्दोष मारे गए । जख्म आज भी नही भरे है पच्चीस साल बाद भी

एक चौथाई शताब्दी बीत गई लेकिन सबक आज भी नही लिया दुनिया ने , आज भी लादेन जैसे पैदा कर दिए जाते है फ़िर ओपरेशन चलाये जाते है और कौमों को कठघरे में खड़ा कर दिया जाता है ।

आइये पच्चीस साल बाद उन बेबकूफियों पर आसूं बहाए जो पच्चीस साल पहेले की गई और आज भी की जा रही है । जिसकी आग में इंदिरा गाँधी ,जनरल वैद्द्य जैसे कई लोग, जिनकी देश को जरूरत थी, भी जल कर ख़ाक हो गए ।

नीला तारा की विवेचना होनी चाहिए सरकारी श्वेत पत्र के आलावा|

7 टिप्‍पणियां:

  1. बिलकुल ठीक,सहमत हूँ आपसे ।

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  2. धन्यवाद याद दिलाने के लिए

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  3. ऐसे पलों को भूलना अब ज़रूरी है ...

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  4. आपकी यह पोस्ट आज के (०६ जून, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - ऑपरेशन ब्ल्यू स्टार पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई

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  5. राजनीति में ऐसे मंज़र बारबार देखने को मिलते हैं

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आपकी टिप्पणियों की मुझे प्रतीक्षा रहती है,आप अपना अमूल्य समय मेरे लिए निकालते हैं। इसके लिए कृतज्ञता एवं धन्यवाद ज्ञापित करता हूँ।

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